कराग्रे वसते लक्ष्मी
प्रातः जागरणके पश्चात् स्नानसे पूर्वके कृत्य
प्रातःकाल उठनेके बाद स्नानसे पूर्व जो आवश्यक विभिन्न कृत्य हैं, शास्त्रोंने उनके लिये भी सुनियोजित विधि-विधान बताया है। गृहस्थको अपने नित्य-कर्मोक अन्तर्गत स्नानसे पूर्वके कृत्य भी शास्त्र-निर्दिष्ट- पद्धतिसे ही करने चाहिये; क्योंकि तभी वह अग्रिम षट्-ककि करनेका अधिकारी होता है। अतएव यहाँपर क्रमशः जागरण-कृत्य एवं स्नान-पूर्व- कृत्योंका निरूपण किया जा रहा है।
ब्राह्म-मुहूर्तमें जागरण- सूर्योदयसे चार घड़ी (लगभग डेढ़ घंटे) पूर्व ब्राह्ममुहूर्तमें ही जग जाना चाहिये। इस समय सोना शास्त्रमें निषिद्ध है।
करावलोकन - आँखोंके खुलते ही दोनों हाथोंकी हथेलियोंको देखते हुए निम्नलिखित श्लोकका पाठ करे-
कराग्रे वसते लक्ष्मीः करमध्ये सरस्वती ।
करमूले स्थितो ब्रह्मा प्रभाते करदर्शनम् ॥
(आचारप्रदीप)
'हाथके अग्रभागमें लक्ष्मी, हाथके मध्यमें सरस्वती और हाथके मूलभागमें ब्रह्माजी निवास करते हैं, अतः प्रातःकाल दोनों हाथोंका अवलोकन करना चाहिये।'
भूमि-वन्दना - शय्यासे उठकर पृथ्वीपर पैर रखनेके पूर्व पृथ्वी माताका अभिवादन करे और उनपर पैर रखनेकी विवशताके लिये उनसे क्षमा माँगते हुए निम्न श्लोकका पाठ करे -
समुद्रवसने देवि पर्वतस्तनमण्डिते ।
विष्णुपनि नमस्तुभ्यं पादस्पर्श क्षमस्व मे ।।
'समुद्ररूपी वस्त्रोंको धारण करनेवाली, पर्वतरूपस्तनोंसे मण्डित भगवान् विष्णुकी पत्नी पृथ्वीदेवि ! आप मेरे पाद-स्पर्शको क्षमा करें।' मङ्गल-दर्शन - तत्पश्चात् गोरोचन, चन्दन, सुवर्ण, शङ्ख, मृदंग, दर्पण, मणि आदि माङ्गलिक वस्तुओंका दर्शन करे तथा गुरु, अग्नि और सूर्यको नमस्कार करे।
माता, पिता, गुरु एवं ईश्वरका अभिवादन - पैर, हाथ-मुख धोकर कुल्ला करे। इसके बाद रातका वस्त्र बदलकर आचमन करे । पुनः निम्नलिखित श्लोकोंको पढ़कर सभी अङ्गोंपर जल छिड़के। ऐसा करनेसे मानसिक स्नान हो जाता है।
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