गणेश स्थापना
।। गणेश स्थापना ।।
पृथ्वी पर शुभागमन हो रहा है।
प्रथम पूज्य श्री गणेश हमारे अति विशिष्ट, सौम्य और आकर्षक देवता हैं। उनके आगमन के साथ ही पृथ्वी पर चारों तरफ रौनक, रोमांच और रोशनी बिखर जाती है।
क्या करें श्री गणेश जी के आगमन से पहले
घर को सजाएं। संवारें। निखारें। इतना खूबसूरत हो उनके आने से पहले आपका घर कि देखते ही वे प्रसन्न हो जाए। मुस्कुरा उठें और कहें कि बस अब कहीं नहीं जाना.. यहीं रहना है।
सुख, सुविधा, आराम, खुशियां जितनी आप गणपति के समक्ष रखेंगे उतनी ही और उससे कहीं ज्यादा आपको प्रतिसाद में मिलेगी। उनके स्थापना का स्थान स्वच्छ करें। सबसे पहले स्थान को पानी से धोएं।
कुमकुम से अथवा चावलसे एकदम सही व्यवस्थित स्वास्तिक बनाएं।
चार हल्दी की बिंदी लगाएं। एक मुट्ठी अक्षत रखें।
इस पर छोटा बाजोट, चौकी या पटा रखें। लाल, केसरिया या पीले वस्त्र को उस पर बिछाएं।
स्थान को रोशनी से सुसज्जित करें।
चारों तरफ रंगोली, फूल, आम के पत्ते और अन्य सजावटी सामग्री से स्थान को सुंदर और आकर्षक बनाएं।
मंगल प्रवेश
घर की मालकिन गणेश को लाकर द्वार पर रोकें।
स्वयं अंदर आकर पूजा की थाली से उनकी आरती उतारें। उनके लिए सुंदर और शुभ मंत्र बोलें।
आदर सहित् गजानन को घर के भीतर उनके लिए तैयार स्थान पर जय-जयकार के साथ शुभ
मुहूर्त में स्थापित करें।
सभी परिजन मिलकर कर्पूर आरती करें। पूरी थाली का भोजन परोस कर भोग लगाएं।
लड्डू या मोदक अवश्य बनाएं। पंच मेवा भी रखें। प्रतिदिन प्रसाद के साथ पंच मेवा जरूर रखें।
।। पूजन ।।
आचमन- ॐ केशवाय नम:। ॐ नारायणाय नम:। ॐ माधवाय नम:।
कहकर हाथ में जल लेकर तीन बार
आचमन करें एवं ॐ1 ऋषिकेशाय नम: कहकर हाथ धो लें।
इसके बाद प्राणायाम करें एवं शरीर शुद्धि निम्न मंत्र से करें। (मंत्र बोलते हुए सभी ओर जल छिड़कें)...।
ॐ अपवित्र: पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोऽपि वा।
य: स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यन्तर: शुचि:।।
।। संकल्प ।।
अपने गोत्र का उच्चारण करे .... स्वयम् का नाम ले ।
मम आत्मनः श्रृति स्मृति पुराणोक्त वेदोक्त शास्त्रोक्त पुण्यफल प्राप्तर्थं, पार्थिव गणेश देवतानां निर्माण समये स्पर्शा स्पर्श दोष परिहारार्थं
देवस्य कला सान्निध्य हेतवे, गणेश चतुर्थ्यां आरभ्य त्रिदिन/पंचदिन/सप्तदिन अनंतचतुर्दशी पर्यंत गणेश देवतांना प्राणप्रतिष्ठां करीष्ये ।
दिप पूजन करे । सूर्य पूजन करे । शंख घंटा को फुल चढाए ।
हाथमे जल लिजीये ।
बोलिए -
मूर्ती निर्माण समये सकल दोषाणां निवृत्ती हेतवे अग्नीउत्तारण पूर्वकं प्राणप्रतिष्ठां करीष्ये ।
मूर्ती पर दहीना हाथ रखे दुसरा हाथ अपने हृदय को स्पर्श करे ।
प्राण प्रतिष्ठा मन्त्र......
ॐ आं ह्रीं क्रों यं रं लं वं शं सं षंं हं ळ क्षं हों ॐ क्षं सं हंस: ॐ श्री गणेश देवतानां प्राणा इह प्राणा:..!!
ॐ आं ह्रीं क्रों यं रं लं वं शं सं षंं हं ळ क्षं हों ॐ क्षं सं हंस: ॐ गणेश देवतानां जीवइहस्थित ..!!
ॐ आं ह्रीं क्रों यं रं लं वं शं सं षंं हं ळ क्षं हों ॐ क्षं सं हंस: ॐ श्री गणेश देवतानां सर्वेन्द्रियाणावांंमनश्चक्षुश्रोत्र
जिव्हा घ्राणप्राण: इहागत्य सुखंचिरंतिष्ठन्तुस्वाहा..!!
ॐ क्षं सं हंस: ॐ ह्रीं.....!
।। १६ बार बोले ।। ॐ गं गणपतये नमः ।।
ध्यान करते हूवे मंत्र बोले ।
वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटी समप्रभ ।
निर्विघ्न कुरु मे देव सर्व कार्येषु सर्वदा ।।
।। गणेश जी के सामने
गणेश अथर्वशीर्ष का पाठ करे । ।
भगवान को
फुल,माला, हार चढाए ।
भोग चढाए ।
महाआरती करे ।
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